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मुद्दत से कोई गुनाह नहीं किया मैने |
चलो आज कुछ गुनगुना लेते है कुछ मुस्कुरा लेते है ||
तेरे इन्कार की कोई वजह ना कल थी ना आज है,
तेरी गली से गुज़र कर कोई वजह बना लेते है |
अस्क यु ही बहा करते है रुक्सार पे मेरे,
आज इनका भी कोई मुकमल रास्ता बना लेते है |
कोई नहीं याद करता मुझे इस सहर में,
सोचता हुँ कुछ लोगो को दुशमन ही बना लेते है |
जनाजे में इकटठी करना भीड़, भी एक आफत है,
कुछ लोगो को अपना क़र्ज़ खोवह बना लेते है |
क़यामत के रोज़ वो कहाँ और हम कहाँ ,
अपनी दावत में बुलाकर उन को भी गुनहगार बना लेते है |
मेरा किस्सा कोई जनता ही नहीं यहाँ ,
चलो आज उनको अपना राजदार बना लेते है | 
लोग करते है बदनाम कह कर मासूम मुझे ,
कुछ लोगो को आज अपनी ग़ज़ल ही सुना देते है |

© 2016b by me and me

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