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दिल में उतारने को जिसे था बेकरार ,
जाने कब नज़रो से वो उतर गया |
उस सकस की अकड़ तो देखो ,
चंद सिक्को के आगे जो पिघल गया |
जन्मो जनम तक का था करार ,
इक पल एक घडी देने से भी मुकर गया |
काफिला इक्कठा था इर्द गिर्द ,
पर हाथ जिसका भी थामना चाहा वो ही बिछड़ गया |
जिंदगी के खेल भी अजीब है,
कंधे पे बिठा मेला दिखता था वो 
अब उनके कंधो पर ही बिसर गया
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© 2016b by me and me

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