top of page
कितने सिक्के बढ़ जायेगे ,
जो इतने जवान सव स्वाभिमान यू तोल रहे है |
सोता था राष्ट्र जिस के भरोसे कभी,
आज क्यों जंतर मंतर पे भूखे जाग रहे है |
मौत से भी मांगी ना मोहल्त जिसने ,
आज बिचारे वो भगोड़ों से मदद मांग रहे है |
बांध कफ़न माथे पर जो फिरते थे,
क्यों अपनी बाजु पर काले फीते बांध रहे है |
कायरता की भी हद है ,
शेरो के झुण्ड में गीदड़ देखो झांक रहे है |
हुई वीरता आज फिर सर्मिन्दा ,
देखो शिखण्डी अर्जुन का रथ हांक रहे है ||
bottom of page