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जला दो उन पन्नो को ,
जिनमे वीरो की गाथा हो |
हटा दो हर चिन्ह जो ,
हिन्द का गौरव दर्शाता हो |
कर दो खामोश हर चंद्रवरदाई को ,
जब वो " अभिजीत " गाता हो |
पिंघला दो राणा के भालो को ,
रानी लक्ष्मी की ढालो को ,
वीर शिवाजी की तलवारो को,
ढाल लो घुँगरू बांध लो पैरों में ,
अब मस्करे आदर्श हो और भाँडो की बाते हो |
अब न सुनाओ नोजवानो को ,
कहानी भगत और सुभाष की |
न ढाले मूर्ति कोई ,
खुदीराम और असफाख की |
उस देश की सेना में क्यों आये जवानी ........
जहा सर काटने पे अफ़सोस नहीं पांच साल की जेल पे सदमा हो |
क्यों माँ कोई लगाये दांव अपनी खोख का .....
जहा कतिलो की जमानत पे लाखो की सठे लगते हो |
क्यों बहन कोई थमाए बन्दुक उस राखी वाली कलाई पे.....
डोली उस की गैर उठाए और सौ सौ दिन की पैरोल कैदी पाते हो |
गरजती समसीर का कोई मान नहीं लकड़ी के तख्ते सम्मान पाते हो |
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