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तुम...तुम तो सब्नम हो कल फिर होगी किसी फूल की पंखड़ी पे पड़ी
मै...मै तो आसु हूँ आँख से उतर के ना जिया हूँ .......ना जियूँगा कभी
मेरे हज़ार आँसू भी काफी ना थे तुमको मेरी मज़बूरी समझने के लिए
और हम आपकी इक मुस्कराहट का अहसान लिए फिर रहे है आज तलक
तुम...तुम तो सब्नम हो जरुरी है की शीतल रहो
मै...मै तो आसु हूँ हर कोई सिर्फ नमक ही तोलेगा
तुम...तुम तो सब्नम हो फिर चाहे क़तरा क़तरा ही कयो ना हो
मै...मै तो आँसू हूँ कितना भी दर्द समेटू सिर्फ बिखरा बिखरा हूँ
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